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वायु सुतः          श्री बीचुपल्लि हनुमत्सुप्रभातम्


श्री बीचुपल्लि हनुमत्सुप्रभातम्

रचयिता:   श्री तेलकपल्लि राम्चन्द्र शास्त्रि

छन्दो मयाय जागतीहसमस्तलोक
चैतन्य दाय मिहिराय यधाविधानम्
संध्यार्घ्या दान कुतुकसतवरते द्विजाली
र्निद्राम् जहिह्यतुल विक्रम वायुसूनो

पारावतास्सबलि भुक्चट कारुवन्ति
नीडान्विहाय बहिरेत्यच ताम्र चूडा:
जाता विधोर्विरहतोद्य निशाविविरणा
निद्राम जहीहि हनुमन्स्सुजनार्घ लब्ध्यै

उदयनरवि स्स्वघ्रणि भार जतद्रुूतेन
लिम्पन्नीलातल मिवस्ति गवाम समूह:
अम्भार वेण निजवात्स गाणप्रबोधम्
बाडंकरोति कपिवर्य ! जहिहिनिद्राम्

श्रीजानकी हृद्य शोक तम प्रदीप
कळ्याण रूप ! कलवाक्कविकल्पवृक्ष !
अत्यत्भुतात्म बल तीर्ण महासमुद्र !
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

आकाशसिन्धु गिरिदुर्ग वनेषुधीर
स्तवैरनचरन तवपितुस्सादृशो भवस्त्वं
मातृप्रसिद्धिकर मङ्गळ नामधेय !
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

दैतेय दुष्ट मृग सम्हति पूर्णघोर
लङ्काटवी दहन दाव कपीटयोने !
सुग्रीव मुख्य कपिसन्नुत भव्यकॆर्ते !
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

श्री राम चन्द्र हृदयाब्ज्चलन्मिळिन्द
गन्धर्व किन्नर समाहनुतप्रताप
दैतेय नाथ शकन्धर गर्वहारिन
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

लङ्काप्रवेश कृत्भीकर मेघनाथ
निर्विण्ण कम्पित समस्त सुरारिवर्ग
शान्तस्वरूप ! शरनागत रक्षणेच्छ
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

लङ्काप्रयणा समये खगतिं कपीन्द्र !
त्वाम्मेनिरेदि विषदो विनतातनूजं !
केचिच्छ्दैत्य कुलनाशक धूमकेतुं
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

मध्येब्धि गतिनिरोध कृतेह्य मर्त्यै
सम्प्रेषितांच सुरसां विव्र्तास्य भीमा
धून्वंत दीहित करोवियतं प्रयात !
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

सत्यस्वरूप भगवन्नव शब्द्शास्त्र
पांडित्य पूर्ण ! पवनात्मज ! रामदूत !
रामानुजप्रिय कवीन्द्र चकोर चन्द्र !
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

गर्वोद्धतासुर निकाय मदेभसिंह !
श्रीरामचन्द्रवर लब्ध महाप्रभाव
लोकेzत्र सर्वजनता कृतनित्यपूज !
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

तैलप्रसिक्त पटवेष्टित तावकीन
वालाग्रदैत्य विनिवेशित वह्न्यभीत
ल्कांदहन प्रलयकाल धनंजzयोभू:
श्श्रीबीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

अत्युन्नताद्रि समभीकर सिम्हिकाया :
क्षुद्भाधयातव तनुग्र्सनेरताया :
छित्वाशरीरममरैर्विनुतो सितस्या
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

लंकाभियायि वियदध्वज खेदहारि
मैनाकगोत्र विहितार्घ विशेषतुष्ट
सीतागवेषण समर्पितकायश्क्ते
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

लंकागतावनिसुतात्त वियोग दु:खं
रामाभिधान कलितज्वल दूर्मिकाया:
दानान्निवार्य सफलीकृत रामकार्य
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

त्वत्पाद पूजननिरस्त समस्त दु:खा
स्त्वन्नामसंस्मृति पलाइत भूतबाधा:
सज्जावसन्ति सुजनास्तव पूजनाय
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्

शीतावियोगज तमोविभुराघवस्य
चूडा मणिंतरणि कांति शपत्विषुतम
दत्वानिवार्य जगतिप्रधितो सितस्मै
श्री बीचुपल्लि हनुमन तव सुप्रभातम्


 

 

~ सियावर रामचन्द्र की जय । पवनसुत हनुमान की जय । ~

॥ तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

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