home-vayusutha: मन्दिरों रचना प्रतिपुष्टि
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वायु सुतः          वेब साइट के बारे में


इस साइट का लक्ष्य प्रभु श्री हनुमानजी की महिमा का लोकप्रचलित करना है।

लोकप्रिय हमारा वेब साइट "वायुसुत:" का हिन्दी भाषा में विनम्रता के साथ
विजय वर्ष के रामनवमी [08.04.14] से प्रस्तुत करना हमारा भाग्य है।


हर महिने अद्यतन होगी


वायु सुतः   -  वायु भगवान के पुत्र
अंजनि-पुत्र, पवनसुत, शंकर सुवन, केसरीनंदन नामसे प्रसिद


प्राक्कथन 

 

भारत में मानव-कल्याण हेतू मन्दिरों का मह्त्वपूर्ण योगदान है। मन्दिरों में स्वामी नरायण मन्दिर , श्री राम मन्दिर, श्री शिव मन्दिर, श्री राधा कृष्ण मन्दिर एवं हनुमान मन्दिर प्रमुख्य हैं। हम यहां पर हनुमान मन्दिरों के संदर्भ में प्रचलित विशेषताएं एवं परिचय प्रस्तूत करते हैं। रीति रिवाजौ और प्रथाऔं के आधार पर भारत देश मुख्यत: चार भागौ मे बंटा हुआ है। उत्तर, पूर्व,पश्चिम एवं दक्षिण। ये देखा गया है, कि अलग-अलग स्थलों पर स्थानीय देवि देवतऔ की पूजा अर्चना होती है। तब भी भारत के हर गांव व शहर में हनुमान मन्दिर जरुर मिल जायगा।
आज भारत में असंख्यक हनुमान मन्दिर हैं। जिनका निर्माण एवं स्थापना अगमा नियम से हुआ है। परन्तु कुछ ही मन्दिर प्रख्यात हुए हैं निर्माण , स्थापना एवं पुजा विधि के अनुसार भारत में मन्दिर, उत्तर एवं दक्षिण दो भागों में विभाजित हैं। उत्तर में, लोग मन्दिर में भगवान की मुर्ति के पास जाकर पुजा-अर्चना करते हैं। प्रसाद फल-फुल इत्यादि पंडित को भोग के लिये देते हैं। लोग गर्भगृह में भी जा सकते हैं। जबकि दक्षिण में, लोग मन्दिर में भगवान की मुर्ति को दुर से ही पुजा-अर्चना करते हैं। प्रसाद फल-फुल इत्यादि पंडित को भोग के लिये देते हैं। मन्दिर के गर्भगृह में पंडित ही जा सकते हैं। पुजा एवं मंत्रोच्चारण से मन्दिर का वातावरण पवित्र हो जाता है। साधकों के मन्दिर में जाने से उनके आभा मंडल में प्रगति होती है। क्योंकि मन्दिरों में अध्यात्मिक उर्जा का सर्जन रहता है।
ऐसा भी कहा जाता हैं कि अगर हम भगवान , गाय या तुलसी के चारों तरफ़ नौ (Nine) परिक्रमा लगाएँ तो हमारे आभा मंडल में तीन गुना प्रगति होती है। हमें इसीलिये मन्दिर दर्शन के लिये रोजाना जाना चाहिये, और कम से कम तीन परिक्रमा जरुर लगायें।
हनुमान जी की सह्स्त्र नामावली अलग से दी है। उनमें से तीन नाम प्रमुख्य हैं। एक - उनकी माता का नाम अंजनी था, इसीलिये उन्हें अंजनी-पुत्र से पुकारा जाता है। वो वायु देव / मारुति के पुत्र थे, इसीलिये उन्हें वायु-पुत्र एवं मारुति नंदन से भी जाना जाता है। दक्षिण में इन्हें अंजनया स्वामी नाम से भी पुकारा जाता है।
सभी साधकों से न्रम निवेदन है कि भाषा सम्बन्धी दोषों की और ध्यान न देकर केवल अध्यात्मिक उद्धेश्य से इनमें कथित विष्य का अध्ययन करें। इससे उन्हें अपने साधन-पथ पर अग्रसर होने में अभूतपूर्व सहायता प्राप्त हो सकती है।
आइए हम एक संकल्प करें , कि जब भी संभव होगा हम हनुमान मन्दिर, अंजनया स्वामी मन्दिर या मारुति गुडी जरुर जायेंगे।

 

 

 

~ सियावर रामचन्द्र की जय । पवनसुत हनुमान की जय । ~

॥ तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

शुभ स्वागतम
पवनसुत हनुमान की स्तुति गाते हुए प्रसन्न होने का आपका इस वेब साइट पर स्वागत करते हैं। यह साइट हनुमान स्वामी की महिमा को हनुमान भक्तों तक पहुंचाहने के लिए है।

श्री हनुमान जी

हनुमान अद्वितीय हैं - हनुमान अलग सोचते हैं। तीव्रता से सोचते हैं। आगे की सोचते हैं। तेजी से कार्य करते हैं। वह कर्म का चरम हैं। वह विनयपूर्ण का आदर्श रूप हैं।

श्री हनुमान जी का आशीर्वाद

भक्तों के बुरे कर्मों का अंत करके सभी मंगलता प्राप्त करते हैं। उनके चरणो की पूजा करनी चाहिए। वह अपने भक्तों के बुरे विचारों और कर्मों का अंत करके, उनके शब्दों, विचारों और कर्मों को शुद्ध बनाते है।

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