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श्री व्यासराज प्रतिष्ठ हनुमान

वायु सुतः          श्री अंजनेया स्वामी मंदिर, बीचुपल्ली इतिक्याल मंडल, जिला महबूबनगर, तेलंगाना


श्री के. मॊहन राव

बीचुपल्ली

श्री श्री व्यासराज स्वामीगल कृष्णा नदी के तट पर स्थित बीचुपल्ली गांव, तेलंगाना राज्य के जिले महबूबनगर में इतिक्याल मंडल में है। यह तेलंगाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय महबूबनगर से दक्षिण की ओर 87 किमी दूर और राज्य की राजधानी हैदराबाद से 186 किलोमीटर स्थित है। हम रेलगाड़ी से गडवाल या कुरनूल पहुँच सकते हैं, सभी प्रमुख रेलगाड़ियाँ इन दोनों स्थानों पर रूकती हैं। और वहाँ से बीचुपल्ली के लिए APRTC की बस ले सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-7) इस जगह से होकर गुजरता है। बीचुपल्ली एक पवित्र जगह है, यहां पर कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों का संगम होता है।

बीचुपल्ली आज

राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर सड़क पुल, जोकि 1950 के दशक में बनाया गया था, इस पुल ने तेलंगाना और राँयलसीमा को भव्य तरीके से देश के बाकी हिस्सों के साथ जोड़ने में मदद की थी। आज नदी के साथ कई घाटों का पुन; निर्माण हुआ है। यहाँ हर बारहवें वर्ष पुष्कर स्नान भव्य पैमाने पर आयोजित किया जाता है, और लाखों भक्त इसमें शामिल होते हैं।। यहाँ श्रद्धालुओं की सुविधा एवं निरंतर दर्शनों के लिए, नदियों के साथ मंदिरों का भी पुर्नोत्थान हुआ है।

बीचुपल्ली प्राचीन समय में

श्री हनुमान स्वामी मंदिर, बीचुपल्ली, इतिक्याल मंडल, जिला महबूबनगर, तेलंगाना श्री बीचुपल्ली हनुमान मंदिर, बीचुपल्ली, इतिक्याल मंडल, जिला महबूबनगर, तेलंगाना
यह जगह बिना ज्यादा निवासियों के एक घना जंगल था और ऋषि कण्व ने तपस्या करने के लिए इस पवित्र स्थान को चुना था। पंद्रहवीं शताब्दी के दौरान श्री व्यासराज, विजयनगर वंश के श्री कृष्ण देवराय के राजगुरु, इस पवित्र स्थान से होकर गये थे। वो अपने शिष्यों के साथ कुछ समय के लिये यहाँ ठहरे थे, और उन्होंने इस जगह की पवित्रता महसुस की थी। उन्होंने सोचा कि इस पवित्र जगह पर जहाँ महर्षि कण्व ने तपस्या की थी, वहाँ पर श्री हनुमान देवता को स्थापित होना चाहिये ।

इस क्षेत्र श्रि हनुमान जी कि शुप्रभात के लिए क्लिक करिए
"बीचुपल्ली श्री हनुमत्सुप्रभातम्"

मंदिर का इतिहास

देवता की स्थापना

श्री व्यासराज अपने विचार परिणत करना चाहते थे, तदुपरान्त वहाँ श्री हनुमान देवता की स्थापना करवाई। और वो कुछ ही दिनों में इस जगह को छोड़कर चले जायेगें, तब पुजा-अर्चना कौन करेगा, यह सवाल उन्हें कोंधनें लगा।

श्री व्यासराज तीर्थ

श्री व्यासराज ने भगवान हनुमान जी की प्रतिमा एक शुभ दिन को स्थापित की । उस रात उन्हें सपने में श्री हनुमान जी दिखाई दिये तथा श्री हनुमान जी ने इस संदेह का समाधान दे दिया। जब अगली सुबह श्री व्यासराज जी उठे तो उन्होंने एक युवा आदिवासी लड़के को देखा जोकि पिछले दिन स्थापित भगवान हनुमान जी की पुजा-अर्चना कर रहा था।

क्यों जगह का नाम बीचुपल्ली है

श्री हनुमान स्वामी मंदिर, बीचुपल्ली, इतिक्याल मंडल, जिला महबूबनगर, तेलंगाना भगवान हनुमान ने श्री व्यासराज को निर्देश दिया था कि स्थापना के अगले दिन जो भी व्यक्ति सबसे पहले देवता की पुजा-अर्चना करेगा उसीको अर्चना करने वाले के रूप में मनोनीत करना चाहिए। भगवान हनुमान के आदेश के रूप में, श्री व्यासराज ने अर्चना करने वाले के रूप में 'बोया' जनजाति से संबंधित युवा लड़के को नामित किया जिसका नाम बीचुपल्ली था। तभी से वह अर्चना करने वाले बन गया, और बोया जनजाति से संबंधित व्यक्ति आज तक मंदिर के अर्चना करने वाले हैं। पहली बार बोया जनजाति अर्चना करने वाले के बाद गांव का नाम भी 'बीचुपल्ली' पड़ गया और भगवान को 'बीचुपल्ली रायुडू' पुकारा जाने लगा।

बीचुपल्ली रायुडू के लिए मंदिर

एक छोटा सा मंदिर गडवाल राजाओं द्वारा लगभग दो सौ साल पहले बनाया गया था। इसी अवधि के दौरान, एक शिव मंदिर भी परिसर में बनाया गया था। पिछले कुछ वर्षों में नदी की धारा बदल गई है, और भगवान हनुमान तथा भगवान शिव के मंदिर, नदी के किनारे से केवल दो सौ मीटर की दूरी पर हैं। मानसून के दौरान नदी में बहाव बढ़ने के कारण, किसी-किसी साल, शिव मंदिर में नदी का जल प्रवेश कर जाता है। अभी हाल ही में दोनों मंदिरों को पुनर्निर्मित किया गया है, और अच्छे घाट बनाकर नदी के किनारों को मजबूत बनाया गया है।

1992 में भगवान राम के लिए भी, एक मंदिर इस क्षेत्र में बनाया गया था।

आज का मंदिर परिसर

मंदिर कृष्णा नदी के तट पर स्थित है, कृष्णा नदी दक्षिण वाहिनी है। भगवान बीचुपल्ली रायुडू के दर्शनो से पहले एक बड़ा ऊँचा मेहराब आपका स्वागत करता है। मंदिर दक्षिण की ओर है। वहाँ पत्थरों का बना हुआ पुराना ध्वज स्तम्भ है और एक नवनिर्मित लकड़ी का ध्वज स्तम्भ है, जिसके उपर से पीतल की चादर चढ़ाई हुई है। जैसे ही आप मुख्य मंदिर में प्रवेश

करते हैं, वहाँ बाईं ओर चबूतरे पर शिवलिंग स्थापित है और साथ में माँ पार्वती हैं। पास में ही राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की संगमरमर की प्रतिमाएँ हैं। इन्हीं के पास हनुमान

जी के पद-चिन्ह हैं। उसके बाद आप एक खुली जगह मॆं आ जाते हैं, और फिर दो भागों में एक मुख्य मंडपम में प्रवेश करते है।

बीचुपल्ली रायुडू

श्री बीचुपल्ली रायुडू, बीचुपल्ली, इतिक्याल मंडल, जिला महबूबनगर, तेलंगाना मुख्य गर्भग्रह में, जोकि दक्षिण की ओर बीचुपल्ली रायुडू के सामने, इष्टदेव पूर्व की ओर चलते दिखाई देतें हैं। पराक्र्मी हनुमान श्री राम परिवार के साथ आगे दिखाई देतें हैं।

जब आठ फीट ऊँचे शिला देवता की आरती होती है, तो दर्शय आश्चर्यजनक और मनमोहक होता है।

श्री बीचुपल्ली रायुडू, बीचुपल्ली, इतिक्याल मंडल, जिला महबूबनगर, तेलंगाना

कमल समान पैरों में पायल और कांटा उनकी शोभा बढ़ा रहे हैं। वो लंगोट पहने हुए हैं, और उनकी लंबी पूंछ सिर से ऊपर उठाई दे्ती है। और पूंछ के अंत में एक छोटी सी घंटी है। उनका बायां हाथ गदा थामे हुए कूल्हे पर रखा है। उनका दाहिनां हाथ अभय मुद्रा में भक्तों को संरक्षण दे रहा हैं। उनके गले में सुन्दर आभुषण चोड़ी छाती पर शोभायमान हैं। वो का्नों में कुंडल पहने हुए हैं। उनकी चमकतीं हुई आँखें भक्तों को दयालुता और आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं। गर्भग्रह में भगवान हनुमान का उत्सव विग्रह है।

मंदिर के त्यौहार

यहाँ रोजाना सुपारी पत्ता पूजा और पंचामृत अभिषेक होता है, जोकि भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। इस क्षेत्र में हनुमान जयंती चैत्र पुर्णिमा को और नरसिंह जयंती मार्गशीर्ष में भव्य तरीके से मनाई जाती है। आसपास के क्षेत्र में, श्री बीचुपल्ली हनुमान बहुत लोगों के परिवार-देवता हैं। इस क्षेत्र के पास आंध्रा और कर्नाटका के लोग नियमित रूप से प्रभु के दर्शनों के लिए आते हैं। यहाँ बहुत भक्त लोग इस पवित्र स्थान पर शादी करना पसंद करते हैं। यहाँ बहुत भक्त लोग शुद्ध एवं शांत वातावरण में ध्यान-समाधि के लिये भी आतें हैं। यहाँ की विभूति और प्रसाद भक्तों को सभी बुरी ताकतों और दोषॊं से बचाता है।

 

 

अनुभव
इस धार्मिक स्थल पर आऐं और कृष्णा नदी में स्नानोपरांत भगवान बीचुपल्ली रायुडू के दर्शन करें। तथा शुद्ध एवं शांत वातावरण में यहाँ कुछ दिन व्यतीत करके, आप अपने मन को शुद्ध एवं तरोताजा पायेगें।
प्रकाशन [दिसंबर 2014]

 

 

~ सियावर रामचन्द्र की जय । पवनसुत हनुमान की जय । ~

॥ तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

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